positive thinking bhagavad gita quotes in hindi📿🙏🚩 Chapter 2, verse-57
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इस स्टेटस वीडियो में हम श्रीमद् भगवद गीता के एक श्लोक जो कि हर एक मनुष्य के लिए सकारात्मक प्रेरणा की बात है जिसे positive thinking bhagavad gita quotes in hindi📿🙏🚩 के रूप में एक वीडियो के माध्यम से बहुत ही सरल हिंदी भाषण में समझाया गया है। इस स्टेटस वीडियो को आप डाउनलोड कर अपने सोशल मीडिया पर शेयर कर अपने दोस्तों एक अच्छा सकारात्मक ज्ञान दे सकते हैं
Positive thinking Bhagavad Gita quotes in hindi📿🙏🚩
यः सर्वत्रानभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाशुभम् । नाभिनन्दति न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता |🙏🙏
यह श्लोक श्रीमद्भगवद् गीता के अध्याय 2, श्लोक 57 का है। जिसका अर्थ है : भौतिक जगत् में सदा ही कुछ न कुछ उथल-पुथल होती रहती है-उसका परिणाम अच्छा हो चाहे बुरा। जो ऐसी उथल-पुथल से विचलित नहीं होता, जो अच्छे (शुभ) या बुरे (अशुभ) से अप्रभावित रहता है उसे कृष्णभावनामृत में स्थिर समझना चाहिए। जब तक मनुष्य इस भौतिक संसार में है तब तक अच्छाई या बुराई की सम्भावना रहती है क्योंकि यह संसार द्वैत (द्वंद्वों) से पूर्ण है। किन्तु जो कृष्णभावनामृत में स्थिर है वह अच्छाई या बुराई से अछूता रहता है क्योंकि उसका सरोकार कृष्ण से रहता है जो सर्वमंगलमय हैं। ऐसे कृष्णभावनामृत से मनुष्य पूर्ण ज्ञान की स्थिति प्राप्त कर लेता है, जिसे समाधि कहते हैं।
इस श्लोक को प्रसिद्ध ब्रिटिश कवि रुडयार्ड किपलिंग ने अपनी एक प्रसिद्ध कविता “If” में इसका प्रयोग का किया है। यहाँ कविता की कुछ पंक्तियाँ हैं:
If you can dream, and not make dreams your master;
If you can think, and not make thoughts your aim,
If you can meet with Triumph and Disaster
And treat those two impostors just the same!
If neither foes nor loving friends can hurt you,
If all men count with you, but none too much:
If you can fill the unforgiving minute
With sixty seconds’ worth of distance run,
Yours is the Earth and everything that’s in it,
And—which is more—you’ll be a Man, my son!